BHOOT KI KAHANI CAN BE FUN FOR ANYONE

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Bhoot ki kahani

आज भी जब हम सुनते हैं कि हमारे बच्चे पिकनिक जा रहे हैं । तब हमें हमारी पुरानी घटना याद आ जाती है। कि कैसे हम लोग बच बचाके निकल आए थे । पिकनिक के नाम से हमे आज भी बहुत डर लगता है। भगवान सबकी रक्षा करें।

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 शायद ऐसा आप भी सोंचते अगर आप मेरी जगह होते तो ।

और सब लोग एक साथ ही बैठना याद रहे की कोई अकेले कहीं उठकर नहीं जाएगा।

उस घटना के बाद आज भी उसकी आत्मा भटकती है और राह मैं आने जाने वाले राहगीरों को परेशान करती हैं और कई बार तो उनका एक्सीडेंट भी करा देती है ।

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गौरब एक पंडित को लेकर उस घर में जाता है और पूजा पाठ करवाता है। इससे उस आत्मा को उस घर से मुक्ति मिल जाती है और वह गौरब का धन्यवाद करती है। गांब वाले सभी गौरब के इस कारनामे से प्रसन्न होते है और उसे इनाम देते है।

खैर कुछ दिनों के बाद मैं अपने उस डॉट श्याम लाल के घर दुबारा गया और उसे अपनी पूरी कहानी बताई!

इस पर मुझे उस गांव के आस पास लोगो ने जो बात बताई वो एकदम अपने आप से चौंका देने वाली थी ।

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थोड़ी रात बीत गई । तभी हमारे एक मित्र ने कहा कि यहां पर ना तो बिजली है । ना तो टीवी है . हम लोग बैठकर यहां पर क्या करेंगे चलो । आज हम लोग थोड़ी मस्ती करते हैं। दूसरे मित्र ने बोला हम अपने साथ ताश के पत्ते लाए हैं । चलो खेलते हैं और हम लोग धीमी लालटेन को जलाकर।

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